ग्रहण वेध के प्रारंभ में तिल या कुशमिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।
New Delhi, Jun 25 : 104 में बन रहा है ये विशेष संयोग । आषाढ़ पूर्णिमा, 27 जुलाई की रात खग्रास चंद्रग्रहण हो रहा है । पूरे देश में इसे देखा जा सकेगा । चंद्र ग्रहण के समय कुछ विशेष बातों को करने की मनाही है । इस समय इन कामों को करने से व्यक्ति को कई प्रकार से हानि हो सकती है । इसलिए इन बातों को जानें और कोशिश करें कि ग्रहण काल में इन कार्यों को करने से बचें ।
ग्रहण काल में रखें संयम
1. ग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल प्राप्त होता है।
2. ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक अरुंतुद नरक में वास करता है।
3. चन्द्र ग्रहण में 3 प्रहर (9) घंटे पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (4.30 घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।
तुलसी का विशेष महत्व
4. ग्रहण वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियां डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।
5. ग्रहण वेध के प्रारंभ में तिल या कुशमिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।
स्वच्छता का विशेष ख्याल रखें
6. ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देवपूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्र सहित) स्नान करना चाहिए। स्त्रियां सिर धोए बिना भी स्नान कर सकती हैं।
7. ग्रहण पूर्ण होने पर जिसका ग्रहण हो, उसका शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।
8. ग्रहणकाल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए।
दान आदि का सौ गुना फल प्राप्त होता है
9. ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
10. ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए, बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए।
11. ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मलमूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन- ये सब कार्य वर्जित हैं।
शुभ कार्य को स्थगित कर दें
12. ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
13. गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए। 3 दिन या 1 दिन उपवास करके स्नान-दानादि का ग्रहण में महाफल है किंतु संतानयुक्त गृहस्थ को ग्रहण और संक्रांति के दिन उपवास नहीं करना चाहिए।
14 . भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्य कर्म (जप, ध्यान, दान आदि) 1 लाख गुना और सूर्यग्रहण में 10 लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में 1 करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में 10 करोड़ गुना फलदायी होता है।
ईश्वर का ध्यान बहुत आवश्यक
15. ग्रहण के समय गुरुमंत्र, ईष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें। न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है। ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से 12 वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है। इन सभी बातों का ध्यान रखें, हमारे धर्म शास्त्रों में चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के होने वाले दुष्प्रभावों से बचने के लिए ये बातें बताई हैं ।